Jac Board Class 10 Hindi Chapter 3 आत्मकथ्य (जयशंकर प्रसाद) || Important Question with Answer

कक्षा 10हिन्दीअध्याय-3
आत्मकथ्य




1. 'आत्मकथ्य' कविता के कवि कौन है ?
  1. तुलसीदास
  2. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  3. सूरदास
  4. जयशंकर प्रसाद

उत्तर D : जयशंकर प्रसाद

2. कवि ने भोर को कैसा माना है ?
  1. सुखद
  2. सुहावना 
  3. प्रेम और लाली से मुक्त
  4. इनमें से सभी

उत्तर D : इनमें से सभी

3. 'आत्मकथ्य' कविता में कौन सा गुण विद्यमान है ?
  1. ओजगुण
  2. प्रसादगुण
  3. माधुर्यगुण
  4. सगुणभक्ति

उत्तर B : प्रसादगुण

4. जयशंकर प्रसाद किस वाद के प्रवर्तक कवी थे ?
  1. छायावाद
  2. प्रयोगवाद
  3. प्रगतिवाद
  4. हालावाद

उत्तर A : छायावाद

5. जयशंकर प्रसाद जी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
  1. सन् 1889 में लखनऊ में
  2. सन् 1836 में काशी में
  3. सन् 1889 में काशी में
  4. सन् 1903 में छपरा में

उत्तर C : सन् 1889 में काशी में

6. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना जयशंकर प्रसाद की नहीं है  ?
  1. कामायनी
  2. परशुराम की प्रतीक्षा
  3. आँसू
  4. प्रेम-पथिक

उत्तर B : परशुराम की प्रतीक्षा

7. 'पत्तियों का मुरझाना' किस और संकेत करता है ?
  1. सूखे की और 
  2. पेड़ के सूखने की ओर 
  3. मन में उत्पन्न दु:ख और आंनद के भावों के मिट जाने की ओर 
  4. मृत्यु की ओर 

उत्तर C : मन में उत्पन्न दु:ख और आंनद के भावों के मिट जाने की ओर

8.  'आत्मकथ्य' कविता में मधुप किसे कहा गया है ?
  1. मन रूपी भौरे को
  2. भौरे को
  3. शहद पीने वाले को
  4. इनमे से कोई नहीं

उत्तर A : मन रूपी भौरे को

9. कवि ने अब तक कैसा जीवन जिया है ?
  1. दुखदायी
  2. सुखी
  3. स्वतंत्र
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर A : दुखदायी

10. 'पंथा' क्या है ?
  1. मार्ग
  2. धर्मशाला
  3. मंदिर
  4. किनारा

उत्तर A : मार्ग

11. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है ?
उत्तर : कवि आत्मकथ्य लिखने से इसलिए बचना चाहते है क्योंकि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि उनके जीवन में कोई आनदित घटना हुई है जिसे वे लोगों को बता सकें। उन्हें लगता है कि उनका जीवन केवल कष्टों से भरा हुआ है अतः वे अपने कष्टों को लोगों में बाटना नहीं चाहते तथा उन्हें अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।

12. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर : कवि को लगता है कि आत्मकथा लिखने का अभी उचित समय नहीं हुआ है। क्योंकि आत्मकथा लिखकर कवि अपने मन में दबे हुए कष्टों को याद करके दु:खी नहीं होना चाहता है, अपनी छोटी से कथा को बड़ा आकार देने में वे असमर्थ हैं, वे अपने अंतर्मन को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना नहीं चाहते हैं। आत्मकथा प्राय: जीवन के उत्तरार्ध में लिखी जाती है। परन्तु अभी जीवन में ऐसा समय नहीं आया है। कवि को ऐसा लगता है कि अभी ऐसी कोई उपलब्धि नहीं मिली है जिसे वह लोगों के सामने प्रेरणा स्वरुप रख सके। इन्हीं कारणों से कवि ऐसा कहते हैं कि अभी आत्मकथा लिखने का समय नहीं हुआ है।।

13. स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर : स्मृति को .पाथेय. अर्थात् रास्ते का भोजन या सहारा या संबल बनाने का आशय यह है कि कवि अपने प्रेम की मधुर यादों के सहारे ही जीवन जी रहा है।

14. 'उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की'- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर : इस कथन के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि निजी प्रेम के मधुर क्षण सबके सामने प्रकट करने योग्य नहीं होते। मधुर चाँदनी रात में बिताए गए प्रेम के उजले क्षण किसी उज्ज्वल कहानी के समान होते हैं। यह गाथा बिल्कुल निजी संपत्ति होती है। अतः आत्मकथा में इनके बारे में कुछ लिखना अनावश्यक है।

15. 'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर : ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
1) कविता में खड़ी बोली हिंदी भाषा का उपयोग किया है।
2) अपने मनोभावों को व्यक्त कर उसमें सजीवता लाने के लिए कवि ने ललित, सुंदर एवं नवीन
बिंबों का प्रयोग किया है, जैसे -"जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
3) प्रस्तुत कविता में कवि ने नवीन शब्दों का प्रयोग किया है।
4) मानवीकरण शैली का प्रयोग किया है।
5) अलंकारों के प्रयोग से काव्य सौंदर्य बढ़ गया है। जैसे
खिल-खिलाकर, आते-आते - पुनरुक्ति अलंकार
अरुण – कपोलों - रुपक अलंकार
मेरी मौन, अनुरागी उषा - अनुप्रास अलंकार

16. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
उत्तर : कवि ने अपने सुख का जो स्वप्न देखा था उसकी अभिव्यक्ति इस प्रकार है- कवि कहता है कि मुझे वह सुख कहाँ मिल पाया जिसका स्वज देखते-देखते मैं जाग गया था, जो सुख मेरे गले लगते-लगते मुसकराते हुए दूर भाग गया। भाव यह कि कवि ने जिस सुख की कल्पना की वह उसे नहीं मिल पाया।
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